प्रबुद्ध जीवन हेतु बोध

श्री गुरु और SRM टीम द्वारा

Get earliest and exclusive updates! Subscribe now.

Related

पश्चाताप और प्रतीति

इस अपार ब्रह्माण्ड के अंतहीन विस्तार में,है प्रियतम का ही निवास हर हृदय के सार में!है उनके महा-हृदय में कृपा का अनन्य स्थान, जो है...

पुकारा है प्रेम से

पुकारा है प्रेम से, अब अपने इस पुलक सागर ने भर लेने हर मौज को अपनी रूहानी गागर में! नहीं कुछ होता है कम अपनी लहरों में खो कर के, जाना है...

प्रेम जागरण है, जुनून नहीं!

प्रेम की संपदा किसी जागृत व्यक्ति में उतरती है। किसी बुद्ध, कृष्ण, महावीर या मीरा में प्रेम की असीम संपदा उघड़ती है। जिस ने स्वयं में...