बैक्टीरिया से लेकर मनुष्य तक, हर जीव का अस्तित्व केवल एक भौतिक शरीर तक सीमित नहीं है। ज्ञानी संतों सदा से कहते आए हैं कि हम पाँच कोशों (या परतों) से बने हैं जो हमारे अस्तित्व को पूरा करते हैं। साधना के मार्ग पर इस संरचना को समझना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इससे हमें यह जानने में मदद मिलती है कि इन कोशों पर क्या प्रभाव पड़ता है और वे हमारी यात्रा को कैसे प्रभावित करते हैं।