निवृत्ति का अभ्यास | वचनमृत #199
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भौतिक कर्मों और जिम्मेदारियों में उलझे रहने के कारण, व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग से अक्सर भटक जाते हैं। हमारे जीवन में ऐसे ‘उपाधि काल’ के आने पर हम आध्यात्म पथ पर कैसे अडिग रहें?

श्रीमद्जी के वचनामृत #199 से संदर्भ लेते हुए, श्री गुरु ‘निवृत्ति’ की आवश्यकता का बोध कराते हैं। अपने कार्यों से समय निकालने के बजाय, समाधान हमारे जीवन को इस तरह से व्यवस्थित करने में निहित है कि वह हमारे गुण-विकास का माध्यम बनें।

Release Date

मई 15, 2022

Duration

20m 04s

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श्री गुरु

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