राग-द्वेष, भोग-वियोग – यह सभी हमें स्वयं से दूर, संसार के भँवर में उलझाए रखते हैं। इस भँवर के पार ही वे योग के पल हैं, जहाँ और कुछ नहीं, केवल स्व का अनुभव है..! | Shrimad Rajchandra Mission, Delhi राग-द्वेष, भोग-वियोग - यह सभी हमें स्वयं से दूर, संसार के भँवर में उलझाए रखते हैं। इस भँवर के पार ही वे योग के पल हैं, जहाँ और कुछ नहीं, केवल स्व का अनुभव है..! | Shrimad Rajchandra Mission, Delhi

May 02, 2022

राग-द्वेष, भोग-वियोग – यह सभी हमें स्वयं से दूर, संसार के भँवर में उलझाए रखते हैं। इस भँवर के पार ही वे योग के पल हैं, जहाँ और कुछ नहीं, केवल स्व का अनुभव है..!

drushti.kamdar

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