भीतर संयम का संस्कार और ध्यान की ऊर्जा प्रकट होने से चित्त अकंप होता है। ऐसे अकंप चित्त से जो भी नज़र आए, उसे ही विवेक कहते हैं।
गुरु तो सदा ही साधक जीव की आसक्तियों को काटने में तत्पर हैं। बस अपने मन की पतंग को उनके प्रेम की डोर से बाँधने भर की देर है…
जो जगत में मिलता है, वह सुख क्षणिक है और अंततः असंतोष ही देता है। परन्तु जो गुरु मार्ग पर खिलता है वह आनंद है, और परम संतोष से भरा है..!
Commit to small resolutions but with pure intention. By putting little-but-consistent efforts everyday, you gain a lot of Inner strength…